UPSC IAS मे क्या पढ़े, क्या न पढ़े, कैसे पढ़े? आईएएस बनने के लिए क्या पढ़ना चाहिए। महत्वपूर्ण टिप्स जाने!
UPSC IAS मे क्या पढ़े, क्या न पढ़े, कैसे पढ़े? आईएएस बनने के लिए क्या पढ़ना चाहिए। महत्वपूर्ण टिप्स जाने!
क्या पढ़ें, क्या न पढ़ें, कैसे पढ़ें?
सिविल सेवा परीक्षा की पूरे मन से तैयारी करने की इच्छा रखने वालो के मन मे स्वाभाविक रूप से उठनेवाला मार्के का सवाल यह है कि आखिर क्या पढ़े और क्या न पढ़े? साथ ही जो भी पढ़ना है, उसे पढ़ें तो कैसे, क्या यूपीएससी की परीक्षा के लिए पढ़ाई का तरीका बाकी परीक्षाओं की तुलना में अलग है या कमोबेश वैसा ही है, अपनी अध्ययन सामग्री में किन-किन पुस्तकों/पत्रिकाओं को जरूर शामिल करें, किसकी सामग्री को नजर अंदाज कर सकते हैं और किस सामग्री को बिना पढ़े काम चल जाएगा और किसे पढ़ना ही बेहतर रहेगा? कहीं ऐसा ना हो कि बाकी लोग कोई सामग्री पढ़ ले और मैं उसे छोड़कर दौड़ में पीछे रह जाऊं।
किसी भी युवा अभ्यर्थी के मन में उठनेवाले ये सवाल मुझे भी तैयारी के दौरान मथते रहे हैं। मुझे लगता है कि यूँ तो देश की इस सर्वाधिक प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा की प्रवृत्ति कुछ ऐसी है कि उपर्युक्त विभिन्न सवालों के जवाब देने के लिए कोई सर्वमान्य और सटीक पुस्तक सूची बनाना मुश्किल है। सिविल सेवा परीक्षा की प्रकृति इतनी डायनेमिक है कि इसको लेकर कोई भी भविष्यवाणी या कयास लगाना बेमानी ही है; पर फिर भी, नए पैटर्न में उल्लिखित पाठ्यक्रम के अनुरूप उत्कृष्ट और प्रामाणिक सामग्री की एक ऐसी सूची तो बनाई ही जा सकती है, जिससे परीक्षा की विषयनिष्ठता (subjectivity) की थाह पाकर उसे कुछ वस्तुनिष्ठता (objectivity) की ओर ले जाया जा सके।
पुस्तकों और स्रोतों की सूची
हिंदी माध्यम के यू.पी.एस.सी. अभ्यर्थी अकसर यह जानना चाहते हैं कि हम सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान क्या पढ़ें और क्या न पढ़ें? मैंने अपनी समझ, अध्ययन और अनुभव के आधार पर पुस्तकों एवं अन्य स्रोतों को यह सूची तैयार की है।
यह सूची न तो अंतिम है और न ही बेस्ट इनमें से आप अपनी सुविधा व तैयारी के स्तर के मुताबिक जोड़-घटाव कर सकते हैं। यह भी ध्यान रहे कि यह सूची संकेतात्मक है और इनमें से प्रत्येक स्रोत को पढ़ना देखना अनिवार्य नहीं है।
पुस्तकें-
इतिहास -कक्षा 6 से 12 तक की NCERT पुरानी वाली, स्पेक्ट्रम की * आधुनिक भारत का संक्षिप्त इतिहास' और विपिन चंद्रा की 'आजादी के बाद का भारत ।
भूगोल- कक्षा 6 से 12 तक की NCERT. इसके बाद माजिद हुसैन या जी सी सियोंग को पुस्तक।
साथ में ऑक्सफोर्ड या ब्लैकस्थान का स्कूल एटलस।
राज-व्यवस्था जीभारतीय राज व्यवस्था (एम. लक्ष्मीकांत) और भारतीय शासन (एम. लक्ष्मीकांत)।
अर्थव्यवस्था -भारतीय अर्थव्यवस्था (रमेश सिंह), 9 से 12 तक को NCERT, सरकार द्वारा प्रकाशित 'आर्थिक सर्वेक्षण' और 'बजट' वेबसाइट runal.org के वीडियो लेक्चर।
पर्यावरण- NCERT और परीक्षा वाणी (इलाहाबाद) द्वारा प्रकाशित पारिस्थितिकों की पुस्तक या शंकर IAS के नोट्स ।
विज्ञान व प्रौद्योगिकी- छठी से 10वीं कक्षा तक की NCERT की किताबें और करेंट अफेयर्स।
भारतीय संस्कृति—नितिन सिंघानिया को 'भारतीय कला एवं संस्कृति' किताब और फाइन आर्ट्स को NCERT की पुस्तक से भारतीय कला का इतिहास |
आंतरिक सुरक्षा-- भारत की आंतरिक सुरक्षा' अशोक कुमार एवं विपुल (मैक्ग्रा हिल से प्रकाशित)।
अंतरराष्ट्रीय संबंध- समाचार पत्र, मासिक पत्रिका और कभी-कभी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट mea.gov.in
भारतीय समाज - श्यामाचरण दुबे (नेशनल बुक ट्रस्ट) की पुस्तक और 11वीं-12वीं कक्षा की समाजशास्त्र को NCERT की पुस्तकें।
एथिक्स- बालाजी डीके IAS और निशान्त जैन IAS की किताब 'नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि' (JICE पब्लिकेशंस, बेंगलुरु) पढ़ें। मनोविज्ञान की NCERT की पुस्तक (सरसरी तौर पर), कुछ अच्छे लेखकों की किताबें । जनरल रीडिंग हैबिट भारतीय दर्शन में वेदांत, बौद्ध, जैन दर्शन और गांधी, नेहरू, टैगोर, अंबेडकर एवं विवेकानंद का दर्शन अच्छे से समझ लें।
निबंध - 'सिविल सेवा परीक्षा के लिए निबन्ध' पुस्तक (सम्पादकः निशान्त जैन IAS व गंगा सिंह IAS- 'अक्षर' राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित)।
साथ ही फुरसत मिलने पर नेशनल बुक ट्रस्ट और प्रकाशन विभाग, सूचना व प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित विभिन्न ज्ञानवर्धक पुस्तकें।
टेस्ट सीरीज़ - Vision IAS
करेंट अफेयर्स
अखबार- 'द हिंदू' और 'दैनिक जागरण' (राष्ट्रीय संस्करण)। 'बिजनेस स्टैंडर्ड' (हिंदी) का 'आर्थिक मुद्दे' और संपादकीय पृष्ठ |
पत्रिकाएँ - भारत सरकार की पत्रिका 'योजना' और यदि समय मिले तो 'कुरुक्षेत्र'। 'दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे' या विजन IAS मासिक बुकलेट वक्त मिले तो 'फ्रंटलाइन' भी पढ़ सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा प्रकाशित 'इंडिया ईयर बुक' (भारत)। साथ ही भारत सरकार को नवीनतम आर्थिक व सामाजिक कल्याणकारी योजनाएँ अच्छी तरह तैयार कर लें। इसके लिए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की वेबसाइटें उपयोगी हैं।
सोच और भाषा-शैली के विकास के लिए-'अहा जिंदगी' और 'कादंबिनी' पत्रिकाएँ। इन्हें फुर्सत के समय रुचि के अनुरूप पढ़ें।
वेबसाइटें -
india.gov.in. newsonair.com, pib.nic.in, mrunal.org. sightsonindia.coin, Tiashaba.com, gktoday.in, iksa.in, unacademy. in, afeias.com, myGov.in, PRSindia.org, drishtiias.com, gshindi. (Som और भारत सरकार के विविध मंत्रालयों की वेबसाइटें। उपर्युक्त सभी वेबसाइटें देखना अनिवार्य नहीं है। अपनी जरूरत के अनुसार देखते रहें।
रेडियो-टी.वी.-
आकाशवाणी, डी.डी. न्यून, राज्यसभा टी. वी. ।
राज्य सभा टी.वी. के कार्यक्रम देश-देशांतर, सरोकार आदि विशेष रूप से उपयोगी हैं।
फुरसत में टी.वी. सीरियलों- 'सत्यमेव जयते', 'प्रधानमंत्री', 'संविधान' और 'भारत: एक खोज' के एपिसोड देख सकते हैं।
उपर्युक्त पुस्तकों के अतिरिक्त मेरा मानना है कि अपनी समझ और दृष्टिकोण के विकास के लिए भारतीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति, प्रशासन समाज अर्थव्यवस्था शासन व समकालीन इतिहास जैसे विषयों पर कुछ अच्छी व प्रामाणिक किताबें फुरसत मिलने पर पड़ सकते हैं। उदाहरणतः इन विषयों पर लिखनेवाले कुछ मशहूर लेखक हैं-अमर्त्य सेन, रामचंद्र गुहा, गुरचरण दास, ज्याँ दे रजनी कोठारी श्यामाचरण दुबे, कौशिक बसु, जगदीश भगवती, सुनील खिलनानी प्रतापभानु मेहता नंदन नीलेकणी, शशि थरूर, पी. साईनाथ आदि। इनकी बहुत सी किताबों के अच्छे हिंदी अनुवाद भी उपलब्ध हैं। यहाँ ध्यान रखें कि उपर्युक्त पुस्तकों को पढ़ना अनिवार्य नहीं है पर मेरी सलाह है कि इनके लेखकों की पुस्तकों में दो-तीन अपनी पसंदीदा और रुचिकर किताबें चुनकर फुरसत में पढ़ डालें। पढ़कर अच्छा लगेगा।
कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि यू. पी. एस. सी. की तैयारी में 'क्या पढ़ें जानने से भी ज्यादा जरूरी है यह जानना कि 'क्या न पढ़ें। इस संदर्भ में, मेरी सलाह है कि आमतौर पर यू.पी.एस.सी. की तैयारी के दौरान गैर-प्रामाणिक और दोयम दर्जे को अध्ययन सामग्री से बचें। अच्छे और प्रामाणिक लेखक अमूमन अच्छी किताबें ही लिखते हैं। इसी तरह प्रतिष्ठित प्रकाशक भी किताबें छापते वक्त अपनी साख और गुणवत्ता से समझौता नहीं करते। भारत सरकार की किताबें, पत्रिकाएँ, रेडियो जीवी एवं वेबसाइटों का बेहिचक और भरपूर प्रयोग करें।
साथ ही किताबों/पत्रिकाओं तक खुद को सीमित न रखें। सूचना क्रांति के इस युग में इंटरनेट का समुचित उपयोग करते हुए उत्कृष्ट वेबसाइटें विजिट करते रहें. साथ ही आकाशवाणी, रेडियो, डी.डी. न्यूज, राज्यसभा टी.वी. आदि को भी फॉलो करना बेहतर विकल्प है। कुछ चर्चित धारावाहिकों जैसे 'प्रधानमंत्री', 'संविधान' और 'सत्यमेव जयते' के एपीसोड इंटरनेट पर उपलब्ध हैं, जिन्हें फुरसत में देखकर आप बिना खास परिश्रम के ढेर सारी काम को बातें समझ सकते हैं।
और अब अंत में बात करते हैं- 'कैसे पड़े' की। मुझे पुनः यह कहना है कि पड़ने का भी कोई एक सर्वश्रेष्ठ तरीका नहीं है और सबके पढ़ाई के तरीके और अलग हो सकती है पू.पी.एस.सी. की परीक्षाओं के विशेष संदर्भ तो मेरी समझ में पढ़ाई के तरीके को इस प्रकार समझा जा सकता है-
1. किसी एक विषय या टॉपिक पर एक ही अध्ययन सामग्री को पढ़ें। सामग्री को समेटने की कोशिश करें, फैलाएँ नहीं। वरना रिवीजन असंभव सा हो जाएगा।
2. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में समयबद्ध रिवीजन का खासा महत्त्व है। लिहाजा साप्ताहिक रिवीजन करते रहें और परीक्षा से ठीक पहले किन-किन टॉपिक्स का संक्षेप में रिवीजन करना है, उन्हें भी तय कर लें।
3. जो कुछ भी जिस भी सामग्री से पढ़ें, उसे एक डायरी में नोट जरूर कर लें। नियमित रिवीजन और परीक्षा पूर्व रिवीजन में यह डायरी बहुत काम आएगी।
4. नोट्स बनाने की आदत डालें। संक्षिप्त नोट्स बनाएँ। जहाँ नोट्स बनाना संभव न हो, वहाँ अध्ययन सामग्री पर अंडरलाइन या हाइलाइट कर सकते हैं।
5. समाचार-पत्रों/पत्रिकाओं के अति महत्त्वपूर्ण आलेखों की कतरनें एक फाइल में लगा लेना बेहतर विकल्प है, क्योंकि अखबार और पत्रिकाएँ दोबारा पढ़ पाना संभव नहीं हो पाता।
6. कुछ टॉपिक्स एक बार में सरसरी तौर पर पढ़ने से ही स्पष्ट हो जाते हैं। उनका रिवीजन करने की आवश्यकता नहीं है।
7. महत्वपूर्ण अध्ययन सामग्री को आत्मसात् करने के दो या तीन चरण हो सकते हैं। सबसे पहले उसकी सरसरी निगाह से रुचिपूर्वक रीडिंग। उसके बाद महत्त्वपूर्ण बातें हाइलाइट करते हुए विस्तृत अध्ययन अंतिम चरण है-टॉपिक से जुड़े सवालों का विश्लेषण, उसके आयामों की खोज, बाकी पाठ्यक्रम से उसका अंतसंबंध और ग्रुप डिस्कशन।
8. 'ग्रुप डिस्कशन' का बड़ा फायदा है कि इससे टॉपिक्स कमोबेश याद हो जाते हैं। कोशिश करें कि ग्रुप ज्यादा बड़ा न हो। केवल शांत श्रोता बनकर सुने नहीं, बल्कि कुछ टॉपिक्स खुद भी औरों को समझाएँ। आप पाएंगे कि समझाते समझाते आप उस टॉपिक के एक्सपर्ट हो गए हैं।
9. पढ़ने के साथ-साथ नियमित तौर पर लिखते भी रहें। जो लिखें, उसे किसी सीनियर मा शिक्षक को दिखाकर उनके इनपुट्स लेते रहें, ताकि नियमित तौर र सुधार हो सके। टेस्ट सीरीज' में भी भाग ले सकते हैं।
10. एक बहावत है--" is better to read one book for ten times, than den books for time" कहने का अभिप्राय है कि कम पढ़ें, पर ठीक बाजार में अध्ययत सामग्रियों की भरमार है। उसमें खोने या भटकने की ता नहीं है। हर विषय के अनुरूप सामग्री चुनें, उसे बार-बार दोहराएँ और लिखकर अभ्यास करें। निश्चित तौर पर आप सफलता के बहुत करीब होंगे।
😘😘😘आपका गाइड
🖊️🖊️🖊️🖊️ श्रीराम कुमावत ♥️
😘😘😘😘😘🙏 धन्यवाद 🙏😘😘😘😘😘
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