IAS : मुख्य परीक्षा की तैयारी कैसे करें। haw to prapretion ias mains exam. how to upsc clear exam.

IAS : मुख्य परीक्षा की तैयारी कैसे करें। haw to prapretion ias mains exam. how to upsc clear exam. 

        IAS  : मुख्य परीक्षा की तैयारी केसे करें।

           सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के पैटर्न में वर्ष 2013 से संघ लोक सेवा आयोग द्वारा बदलाव किया गया। अब मुख्य परीक्षा में दो वैकल्पिक विषय के बजाय उम्मीदवार को एक ही वैकल्पिक विषय लेना पड़ता है। वैकल्पिक विषय के दो प्रश्नपत्र होते हैं, जिनके मुख्य परीक्षा में 500 अंक होते हैं। मुख्य परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक विषय में निपुणता हासिल करना आवश्यक है। वैकल्पिक विषय का चयन उम्मीदवार को काफी सोच-समझकर करना चाहिए। इसमें रुचि और विषय में कुशलता आदि का ध्यान रखना चाहिए।
          जहाँ तक सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र का सवाल है, पहले की अपेक्षा अब मुख्य परीक्षा में इसका योगदान ज्यादा हो गया है। अब सामान्य अध्ययन के 4 प्रश्नपत्र होते हैं। इसके लिए कुल 1000 अंक तय हैं। इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि चयन के लिए सामान्य अध्ययन का कितना महत्त्व है। इस परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए सामान्य अध्ययन के चारों प्रश्नपत्रों को संतुलित तैयारी करनी चाहिए।

सामान्य अध्ययन : प्रथम प्रश्नपत्र
            सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्नपत्र में भारतीय इतिहास एवं संस्कृति, विश्व भूगोल और समाज से प्रश्न किए जाते हैं। भारतीय इतिहास और संस्कृति के लिए उम्मीदवार को छठी से 12वीं तक की एन.सी.ई.आर.टी. की किताबों, विपिन चंद्रा की 'भारत का स्वतंत्रता संघर्ष', स्पेक्ट्रम पब्लिकेशन की' भारतीय संस्कृति', भूगोल के लिए महेश कुमार वर्णवाल की 'भूगोल : एक समग्र अध्ययन' आदि पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। साथ ही पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों और इन विषयों से संबंधित प्रश्नों के उत्तर का लिखकर अभ्यास करना चाहिए।

सामान्य अध्ययन : द्वितीय प्रश्नपत्र
          सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्नपत्र में संविधान, शासन व्यवस्था, सामाजिक न्याय अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि विषय से प्रश्न पूछे जाते हैं। उपर्युक्त विषय में बेहतर प्रदर्शन के लिए डी.डी. वसु की 'भारत का संविधान', एम. लक्ष्मीकांत को 'भारतीय शासन' तथा बी. एन. खन्ना की ' अंतरराष्ट्रीय संबंध' आदि पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए।

सामान्य अध्ययन : तृतीय प्रश्नपत्र
                सामान्य अध्ययन के तीसरे प्रश्नपत्र में जैव विविधता, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और तकनीक आदि से प्रश्न पूछे जाते हैं। इन विषयों के अध्ययन के लिए इग्नू की पुस्तकें लाभप्रद हैं। अर्थव्यवस्था के लिए 11वीं, 12वीं की एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें, मिश्र एवं पुरी की 'भारतीय अर्थव्यवस्था', 'आर्थिक समीक्षा' पत्रिका आदि का अध्ययन करना चाहिए।

सामान्य अध्ययन : चतुर्थ प्रश्नपत्र
          सामान्य अध्ययन के चौथे प्रश्नपत्र में नैतिकता, ईमानदारी और कौशल संबंधी प्रश्न पूछे जाते हैं। इस प्रश्नपत्र की तैयारी के लिए इग्नू की पुस्तकें, साथ ही सामाजिक विषयों पर केंद्रित अच्छे लेखकों की पुस्तकें बेहतर प्रदर्शन में मदद कर सकती हैं।

निबंध ( अनिवार्य) प्रश्नपत्र
          मुख्य परीक्षा में निबंध का भी एक प्रश्नपत्र होता है। निबंध के लिए 250अंक निर्धारित हैं।बेहतर प्रदर्शन से उम्मीदवार अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए उम्मीदवार से मौलिक अभिव्यक्ति, प्रस्तुति कौशल तथा अच्छी लेखन कला आदि की अपेक्षा की जाती है। उम्मीदवार को इसके लिए समसामयिक घटनाओं पर लगातार नजर रखनी चाहिए। साथ ही अच्छी लेखन कला के लिए निरंतर अभ्यास करना चाहिए।
           निबंध उसी माध्यम से लिखा जाना चाहिए, जो आपके दिए गए प्रवेश प्रमाण-पत्र में उल्लिखित है। इस माध्यम का स्पष्ट उल्लेख उत्तर-पुस्तिका के आवरण पृष्ठ पर निर्दिष्ट स्थान पर किया जाना चाहिए। प्रवेश प्रमाण-पत्र में उल्लिखित माध्यम के अतिरिक्त किसी अन्य माध्यम में लिखे गए निबंध को कोई अंक नहीं दिए जाएँगे।
उदाहरण: निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए-
1. लघुत्तर राज्यों का सृजन और परिणामी प्रशासनिक, आर्थिक एवं विकासी निहितार्थ ।
2. क्या भारतीय सिनेमा हमारी लोक संस्कृति को रूप प्रदान करता है या कि केवल उसको प्रतिबिंबित करता है?
3. ऋण आधारित उच्च शिक्षा प्रणाली- स्थिति, अवसर एवं चुनौतियाँ।
4. भारत के संदर्भ में आतंकवाद का मुकाबला करने में मानवीय आसूचना एवं तकनीकी आसूचना दोनों ही निर्णायक हैं।

निबंध : आवश्यक तथ्य
          मुख्य परीक्षा के निबंध-पत्र के बारे में बहुत सारे उम्मीदवार शंकित रहते हैं कि क्या लिखना है और कैसे लिखना है? बहुत सारे उम्मीदवार इस पत्र को गंभीरता से नहीं लेते; पर वह ध्यान रखें कि निबंध-पत्र के अंक बहुत बार आपकी सफलता को निर्धारित करते हैं। निवम में 250 में से कोई 80 अंक लाता है तो कोई 150 | अब आप सोच सकते हैं कि निबंध के अंकों का क्या महत्त्व है?
             निबंध-पत्र के साथ एक और दिक्कत जो उम्मीदवारों के सामने आती है. वह यह है कि पुराने प्रश्नपत्र उपलब्ध नहीं हो पाते। खैर, यहाँ तक निबंध के विषयों की बात है तो दिए गए विषयों में आपको किसी एक विषय पर 3 घंटे में एक निबंध लिखना होता है। शब्द सीमा का कोई उल्लेख नहीं होता. पर सामान्यतः 2000-2500 शब्दों में निबंध लिखने का प्रयास करें।
             निबंध के विषयों में काफी विविधता होती है और हर एक निबंध अलग- अलग क्षेत्र से होता है। सो यहाँ हर किसी के लिए गुंजाइश है। सामान्यतया समसामयिक मुद्दे, अंतरराष्ट्रीय मुद्दे, सामाजिक मुद्दे, साहित्यिक- दार्शनिक- चिंतनपरक विषय से एक-एक निबंध होते हैं। आपको देखना है कि आप किस विषय पर सबसे अच्छा और सबसे हटकर अपने आपको अभिव्यक्त कर सकते हैं।
          निबंध लिखने की शैली की जहाँ तक बात है तो वो हर किसी के लिए अलग-अलग होती है। आपको अपनी शैली खुद से निखारनी होगी। बेहतर यह है कि आप एक नोटबुक बनाकर उसमें निबंध के लिए महत्त्वपूर्ण 10-15 सदाबहार मुद्दे और 20-25 समसामयिक मुद्दों के लिए ढाँचा तैयार कर लें। इसके अंतर्गत आप सामान्य अध्ययन में दिए गए कुछ सामाजिक मुद्दों, पर्यावरण से संबंधित मुद्दों को भी निबंध के लिए तैयार कर सकते हैं। आपको चुने हुए विषयों पर जो भी जानकारी पत्र-पत्रिकाओं या किताबों से मिलती है, उसे आप अपनी नोटबुक में जगह देते चलें। जरूरी आँकड़े, उद्धरण काव्य पंक्तियाँ, वर्तमान व सटीक उद्धरण- ये सब जहाँ से भी मिले उसे आप संबंधित निबंध के अंतर्गत नोट करते चलें ।
         निबंध की तैयारी लिखकर करनी चाहिए। अपना स्वयं का दृष्टिकोण बनाना चाहिए, जो काफी प्रभावकारी होता है।

अहर्ता प्रश्नपत्र
          मुख्य परीक्षा में उम्मीदवार को 600 अंक के दो प्रश्नपत्र और हल करने पड़ते हैं। इन प्रश्नपत्र में अहर्ता हासिल करना अनिवार्य है, हालाँकि इन दोनों प्रश्नपत्रों के अंक अंतिम परिणाम में नहीं जोड़े जाते ।
              इन प्रश्नपत्र में एक प्रश्नपत्र अंग्रेजी का है, कि हाई स्कूल स्तर का होता है और दूसरा प्रश्नपत्र संविधान की 8वीं अनुसूची में उल्लेखित 22 भाषाओं में से अपनी सुविधानुसार चुनी गई किसी एक भाषा का होता है। उपर्युक्त दोनों प्रश्नपत्रों को लेकर उम्मीदवार सामान्यतः गंभीर नहीं होते, जो कि अंतिम चयन लिए घातक हो सकता है। इसलिए उम्मीदवारों को इन दोनों प्रश्नपत्रों में 
विशेषज्ञता तो नहीं,कम-से-कम सामान्य प्रदर्शन के लिए जरूर तत्पर होना चाहिए, ताकि वे इन अनिवार्य प्रश्नपत्र में भी उत्तीर्ण हो सकें।

सामान्य ज्ञान की तैयारी
          सिविल सेवा के लिए यदि धैर्य के साथ लगातार एक सुव्यवस्थित तरीके से तैयारी की जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। सामान्य ज्ञान की तैयारी का सबसे आसान तरीका है प्रमुख राजनीतिक-आर्थिक अखबारों व प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन करना। यह रणनीति काफी लाभदायक सिद्ध होती है। साथ हो समसामायिक घटनाओं पर नजर रखें और कुछ प्रमुख आँकड़ों व आलेखों का संकलन करते रहें तो सामान्य ज्ञान में बढ़ावा होता है। इसके साथ हो अर्थशास्त्र, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, टेक्नोलॉजी व राजनीति विज्ञान का अध्ययन बहुत ही फायदेमंद होता है।
          सामान्य ज्ञान की तैयारी के लिए सभी कठिन तथ्यों, फॉर्मूलों एवं चित्रों को एक अलग नोटबुक में संकलित करते रहें। इस परीक्षा में गहन अध्ययन की आवश्यकता होती है। किताबी भाषा रटने की बजाय खुद अपने शब्दों में अभिव्यक्त करने की आदत डालें।
             भारतीय भाषा और अंग्रेजी का भी अध्ययन अनिवार्य रूप से करें। भारतीय भाषाकी तैयारी में पिछले दो-तीन वर्षों के प्रश्नपत्रों का स्वरूप समझ लेना काफी लाभदायक है, जबकि रेन एंड मार्टिन की ग्रामर अंग्रेजी के लिए लाभदायक होती है।

ऐच्छिक विषय
         मुख्य परीक्षा में समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, लोक प्रशासन, भौतिकी तथा गणित की विधिवत् तैयारी आवश्यक है। प्रारंभिक परीक्षा देने के बाद मुख्य परीक्षा की तैयारी तुरंत प्रारंभ कर देनी चाहिए; क्योंकि आपको खोना कुछ नहीं, बस पाना- 'हो पाना है। एक मिनट भी परिणाम की प्रतीक्षा या उसके बारे में चिंतित होने में बरबाद न करें।
           प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के बीच का अंतराल काफी महत्त्वपूर्ण होता है। इस अंतराल में उम्मीदवार कई मनःस्थितियों से गुजरते हैं। कभी से परिणाम को लेकर चिंतित होते हैं तो कभी 'क्या करें, क्या न करें' के ऊहापोह में लगे रहते हैं। लेकिन स्वयं पर नियंत्रण रखते हुए इन स्थितियों को अपना बनाना होगा। कहा गया है, 'दो निरंतर युद्धों के बीच की अवधि विजयश्री को सुनिश्चित करने में प्रायः सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक होती है।' जो अपने हौसले को उच्च स्तर पर बनाए रखता है तथा सकारात्मक मनःस्थिति को संपोषित करने में सक्षम होता है, वही विजेता बनकर उभरता है।
              कोई भी युद्ध तभी जीता जा सकता है, जब उसके लिए पहले ही एक फुलप्रूफ योजना बनाई जाए और उस योजना के तहत तैयारी की जाए। बिना योजना बनाए युद्ध लड़ना पराजय को ही आमंत्रित करना होता है। सिविल सेवा परीक्षा का युद्ध तीन स्तरों-प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार पर लड़ा जाता है, जिनमें से मुख्य परीक्षा काफी अहम है। ऐसा इसलिए कि इसमें प्राप्त होनेवाले अंक ही आपको इस सेवा में जाने की गारंटी देते हैं। अतः युद्ध के इस स्तर को लड़ने के लिए पूर्व तैयारी आवश्यक है। लेकिन मुख्य परीक्षा की तैयारी प्रारंभ करने के पूर्व यह जान लेना आवश्यक है कि इस परीक्षा की प्रकृति कैसी है और आयोग इस परीक्षा के माध्यम से उम्मीदवारों में किन गुणों की खोज करना चाहता है ? साथ ही, यह भी जानना जरूरी है कि मुख्य परीक्षा प्रारंभिक परीक्षा से कैसे भिन्न है, ताकि स्पष्ट रूप से ज्ञात हो सके कि मुख्य परीक्षा में करना क्या है।

मुख्य परीक्षा : तुलनात्मक अध्ययन
         मुख्य परीक्षा परिमाणात्मक एवं गुणात्मक रूप से प्रारंभिक परीक्षा से भिन्न होती है। मुख्य परीक्षा में सही विकल्प का चुनाव करने और उसे ओ. एम. आर. (ऑप्टिकल मार्क रिकगजिनिशन) पत्रक में चिह्नित करने के बजाय शब्द सीमा एवं समय सीमा का ध्यान रखते हुए विस्तृत व व्यापक अध्ययन के विपरीत मुख्य परीक्षा के लिए चयनात्मक, गहन एवं विशेषणात्मक अध्ययन की जरूरत होती है। जहाँ प्रारंभिक परीक्षा बहुत सारे तथ्यों, चित्रों और सूचनाओं को स्मरण रखने की अपेक्षा करती है, वहीं इनके अलावा मुख्य परीक्षा उम्मीदवार से पढ़ी गई सामग्री को सुव्यवस्थित करने, उसका विश्लेषण करने तथा उम्मीदवार को अपनी विचारधारा को विकसित करने की अपेक्षा रखती है। इससे तैयारी में एक गुणात्मक अंतर पैदा हो जाता है। अत: उम्मीदवार को मुख्य परीक्षा की तैयारी पूर्णतः नए नियोजित तथा वैज्ञानिक तरीके से करनी चाहिए, जो पूर्ण रूप से परीक्षा की माँग के अनुरूप हो।
        वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना और देश-दुनिया के बारे में ज्यादा- से ज्यादा जानकारी हासिल करना भारतीय प्रशासनिक सेवा जैसे कैरियर की बुनियाद तैयारी हो सकती है।
         अखबार और किताबें पढ़ने की आदत डालने के लिए यह उम्र सबसे बेहतर हैं और इन छोटी-छोटी चीजों के जरिए आप इस बड़े लक्ष्य को पाने की तैयारी शुरू कर सकते हैं।
        भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा किसी भी विषय में स्नातक-स्नातकोत्तर उम्मीवार दे सकता है, लेकिन परीक्षा के लिए विषय का चुनाव संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) को सूची में उपलब्ध विषयों में से ही करना होगा। ग्रेजुएशन के अपने विषय चुनते समय अगर आप IAS परीक्षा के लिए सुझाए गए विषयों पर नजर डाल लें तो यह मददगार साबित होगा।
      जब आप सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का मन बना लेते हैं तो सबसे पहले आपको एक वैकल्पिक विषय के चयन के बारे में सोचना पड़ता है। वर्ष 2011 के पहले परीक्षार्थियों को दो वैकल्पिक विषय रखने पड़ते थे; पर अब उसे घटाकर एक कर दिया गया है।
          अपना विवेक लगाइए। तर्क से काम करें। एक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर भी भविष्य में आपको तर्क और विवेक की आवश्यकता जरूर पड़ेगी। विद्यार्थियों के लिए सबसे अच्छा विकल्प यही है कि वे उस विषय का चुनाव करें, जिसमें उनकी पकड़ पहले से ही बहुत अच्छी है। जिस विषय में आपने स्नातक या स्नातकोत्तर किया है, उस विषय का इस प्रतिष्ठित परीक्षा के लिए चयन कर लेना सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।
      हाँ, कभी-कभी उन उम्मीदवारों को दुविधा महसूस होती है, जिन्होंने स्नाइक की डिग्री किसी ऐसे विषय में ली है, जिसका सिविल सर्विसेज की परीक्षा में नाम भी लेना पाप है, जैसे वोकेशनल कोर्स (मास कम्युनिकेशन, कंप्यूटर , साइंस, फैसन डिजाइनिंग इत्यादि)।
           ऐसे विद्यार्थी वे होते हैं, जिन्होंने स्नातक के बाद सिविल सर्विसेज की परीक्षा में बैठने का निर्णय लिया है। होशियार लोग स्कूल और कॉलेज से ही सिविल सेवा परीक्षा को ध्यान में रखकर अपने मार्ग को निर्धारित कर लेते हैं।
     कई लोग फिजिक्स या टेक्निकल बैकग्राउंड होने के बावजूद इतिहास या भूगोल विषय लेकर टॉपर हो जाते हैं। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यदि आपने ठान लिया है कि मुझे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता तो आप कोई भी अनजाने विषय का चयन करके भी सफल हो सकते हैं। जरूर आपको शून्य से शुरुआत करनी होगी।

विषय का चुनाव
        इतिहास, भूगोल, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन- ये तीन विषय लोकप्रिय विषय हैं। ये विषय कभी फ्लॉप नहीं होते। इन विषयों को लेकर साइंस, आर्ट्स, कॉमर्स, मेडिकल बैकग्राउंड वाले कई उम्मीदवार सफल हो चुके हैं। इन तीनों विषयों की खासियत यह है कि ये प्री और मेंस के एक पेपर जनरल नॉलेज के पेपर्स में भी काम आ आते हैं।

राजनीति विज्ञान विषय की भूमिका
      सिविल सेवा के लिए राजनीति विज्ञान एक पसंदीदा वैकल्पिक विषय रहा है। हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही माध्यमों के उम्मीदवारों ने अपनी सफलता के लिए इस विषय पर भरोसा किया है और परीक्षा के परिणाम भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस विषय ने अपने चाहनेवालों को निराश नहीं किया है।
     इस विषय की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन पत्र में यह सबसे ज्यादा मदद पहुँचनेवाला वैकल्पिक विषय है। पहले पत्र में भारतीय संविधान और राज्य-व्यवस्था खंड तथा दूसरे पत्र में अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं भारत के विश्व संबंध खंड के लगभग 200 अंक के सामान्य अध्ययन के प्रश्न इस वैकल्पिक विषय के उम्मीदवारों के लिए खुद-ब-खुद तैयार हो जाते हैं। इसके अलावा, भारत का स्वाधीनता संग्राम एवं अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था खंड के भी 50-60 अंक के प्रश्न को यह विषय अपने में समेटे हुए है। प्रारंभिक परीक्षा में भी सामान्य अध्ययन के 15-20 प्रश्न इस वैकल्पिक विषय से कवर हो जाते हैं।
            वैसे उम्मीदवार, जिन्होंने राजनीति विज्ञान का किसी भी स्तर पर अध्ययन किया है, उनके लिए यह एक स्वाभाविक पसंद है। साथ ही वैसे लोग, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय संबंध में काफी रुचि है और जो भारतीय प्रशासन की बारीकियों के अध्ययन में दिलचस्पी रखते हैं, उनके लिए यह अच्छा विषय है।

पाठ्यक्रम का महत्त्व
       कहा जाता है कि पाठ्यक्रम सिविल सेवा परीक्षार्थियों के लिए एक धार्मिक ग्रंथ की तरह होता है। विषय का चयन करने के पहले एक बार हर विषय के पाठ्यक्रम पर नजर दौड़ा लेने में ही समझदारी है।
       संस्कृत और पालि का पाठ्यक्रम सबसे छोटा है। यदि आपकी इन विषयों पर पकड़ हैं तो आप बेहिचक इन विषयों का चुनाव कर सकते हैं। पर यह भी ध्यान रखें कि इन विषयों पर पकड़ बनाने के लिए आपको गहन मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ेगी।
       अधिकांशतः देखा जाता है कि परीक्षार्थी के परिवार में कोई भी ऐसा सदस्य नहीं होता, जो राज्य या केंद्रीय सिविल सेवा में कार्यरत या पद-स्थापित हो । दूर-दूर के रिश्तेदारों में भी कोई गाइड करनेवाला नहीं मिलता। ऐसे में उन्हें ट्यूशन व कोचिंग का सहारा लेना पड़ता है। इसलिए विषय चयन के समय यह भी ध्यान में रखना आवश्यक है कि आपके रिश्तेदार, कोई घर का बड़ा, आपके आसपास ऐसा इनसान या गुरु भी है या नहीं, जो आपको उस विषय को पढ़ाने में सहयोग कर सके; क्योंकि शून्य से शुरुआत करने में आपका समय भी • बरबाद होगा और आपके लिए यह कठिन भी होगा। पर यह भी याद रखें, आपको पढ़ना स्वयं है। गुरुजन आपको मात्र उत्साहित और आपके विषय की नींव को
मजबूत करेंगे। बाकी सारी तैयारी आपको करनी है।             सामान्य विज्ञान और वैकल्पिक पेपर के पाठ्यक्रम का बड़ा होना अब क रहस्य नहीं रह गया है। इन पेपर की तैयारी व्यापक और निश्चित समयावधि में करनी होती है। उम्मीदवारों को किताबों के अलावा अखबारों, पत्रिकाओं, पी.आई.बी. और दूसरी वेबसाइटों के जरिए तैयारी करनी होती है।
           दूसरी तरफ, अब जीसेट की मुख्य परीक्षा में आपको करीब 5,000 शब्द लिखने होते हैं और IAS प्रारंभिक परीक्षा के जी. एस. पेपर 2 में अधिक सटीकता के साथ 80 प्रश्नों का जवाब देना होता है। जब तक आप समय प्रबंधन को अपनी आदत में शामिल नहीं करते, बातों को टालते रहते हैं, सफलता का स्वाद चखने से दूर बने रहते हैं।
• सामान्य विज्ञान बहुत ही सामान्य है, लेकिन इसे बहुत ही विशिष्ट बनाने की जरूरत होगी, तभी आपकी तैयारी सटीकता के साथ हो पाएगी।
• यह एक लंबी यात्रा है। आपको सभी तरह से प्रेरित किए जाने की जरूरत होगी। अव्वलों की यात्रा के बारे में सुनने या पढ़ने से आपकी आकांक्षा और भावनाओं को ताजगी मिलेगी। यह एक ऐसी परीक्षा है, जिसमें काफी लंबे समय के लिए आपको बहुत ज्यादा स्पष्ट और केंद्रित होना होता है।
• IAS की परीक्षा दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, खासतौर पर ग्रामीण इलाके के उम्मीदवारों के लिए। इस परीक्षा में अव्वल आनेवाले कई उम्मीदवार ऐसी ही पृष्ठभूमि से होते हैं और शीर्ष पर पहुँचते हैं। आखिरकार विजेता दूसरे ग्रह से तो नहीं आते।
आपको ऑल राउंडर होना होगा। सफल होने में सिर्फ किताबें आपकी मदद नहीं कर सकतीं। अव्वल रहे उम्मीदवारों के साक्षात्कार आपको पूरे पारिस्थितिकी से 
परिचित कराने में मदद कर सकते हैं, जो कि शैक्षिक तैयारी के लिए जरूरी है।

स्केलिंग को लेकर भ्रम
         करती थी, परंतु प्रीलिम्स में जब से सीसेट का आगमन हुआ तब से प्रीलिम्स में जब प्रीलिम्स में एक विषय का चयन करना होता था, तब स्केलिंग हुआ स्केलिंग बंद हो गई है। सिविल सेवा परीक्षा के मेंस में कभी भी स्केलिंग नहीं रही।

हाक और डव इफेक्ट
       "हाक' का मतलब है बाज और डव का मतलब - कबूतर मेंस में अभी भी अकसर हाक और डव फॉर्मूले पर काम किया जाता है। 'हाक' वे परीक्षक कहलाते हैं, जो आपको मेंस परीक्षा में नंबर कम करके देते हैं, थोड़ा स्ट्रिक्ट होते. हैं और 'डव' वे परीक्षक होते हैं, जो लिबरल होकर, दिल खोलकर आपको। नंबर देते हैं।
    आइए, एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि पूनम और मुकेश ने मेंस में राजनीति-शास्त्र विषय की परीक्षा दी। पूनम का इग्जाम मुकेश से कई गुना अच्छा गया, मगर उसका पेपर हाक परीक्षक के पास चला गया और मुकेश का पेपर डव परीक्षक के पास जब फाइनल रिजल्ट आया तो मुकेश के नंबर सरोज से कहीं ज्यादा थे। इसी भिन्नता या भेदभाव को रोकने के लिए आज भी मेंस में 'मानकीकरण' टूल का प्रयोग किया जाता है।
           इस प्रक्रिया के अंतर्गत हेड परीक्षक अतिरिक्त परीक्षकों की सहायता से अपने संबंधित विषय के प्रश्नपत्र की एक मॉडल आंसर शीट तैयार करते हैं। फिर यह आपसी सलाह से तय किया जाता है कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में किन-किन बिंदुओं का ध्यान रखा जाएगा। मूल्यांकन हो जाने के बाद अकसर देखा जाता है कि किसी परीक्षक ने अधिक नंबर दे दिए तो किसी ने कम। हेड परीक्षक तब किसी अन्य परीक्षक से मूल्यांकन कराते हैं तथा अपने विवेक से औसत के आधार पर अंक देते हैं।
          संक्षेप में, यह कहा जा सकता है कि आप जिन विषयों में कंफर्टेबल हैं, उनमें से वह एक विषय सिविल सेवा परीक्षा के लिए चुन लें, जिसका पाठ्यक्रम अपेक्षाकृत छोटा है और जिसमें प्रश्नों के दोहराव की संभावना अपेक्षाकृत अधिक है। यदि आपके लिए यूनिवर्सिटी शिक्षा के दौरान पढ़ा गया ऐसा कोई भी विषय नहीं है, जिसमें आप सहज अनुभव करते हों तो आपके लिए अच्छा रहेगा कि जिस विषय में आपकी थोड़ी-बहुत भी रुचि हो, उसे आप अपना लीजिए और इसके लिए सही मार्गदर्शन लेते हुए कठिन परिश्रम शुरू कर दीजिए। सफलता अवश्य मिलेगी।


😘😘😘😘😘🙏 धन्यवाद 🙏😘😘😘😘😘

😘😘🎯😘🙏आपका गाइड
                   🖊️🖊️♥️🖊️🖊️ श्रीराम कुमावत ♥️




Comments

Popular posts from this blog

Upsc optional subject Hindi sahitya syllabus in Hindi. वैकल्पिक विषय - हिंदी साहित्य Hindi literature optional subject syllabus.pdf.

घर बैठे IAS की तैयारी कैसे करें? Ghar baithe IAS ki taiyari kaise kare? ग्रामीण उम्मीदवार IAS की तैयारी कैसे करें? बिना कोचिंग जाए आईएएस कैसे बने?